Saturday 1 September 2018

Hindu Dharm Darshan 222


शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (25)

भगवान् कृष्ण कहते हैं - - -
*विनर्म साधु पुरुष अपने वास्तविक ज्ञान के कारण 
एक विज्ञान तथा विनीत ब्राह्मण, 
गाय, हाथी, कुत्ता, तथा चांडाल को सामान दृष्टि (समभाव) से देखते हैं.
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय  -5 - श्लोक -18 
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वैसे भगवान् कृष्ण पर सियासी तौर पर यादवों (अहीरों) का क़ब्ज़ा है, 
मथुरा और आस पास दूधयों की बड़ी आबादी है, 
स्थानीय लोग दूध घी का सेवन कुछ ज़यादा ही करते हैं. 
मगर पौराणिक दर्पण में भगवान् कृष्ण क्षत्रीय माने जाते हैं . 
वैदिक युग में गाय, हाथी, कुत्ता सब जीव सामान थे, 
गौ मांस प्रचलित था, सम्मानित खाद्य पदार्थ था दूसरे  पदार्थों के बनिसबत. 
आज यह गऊ माता हो गई, 
यह हमारा चाल, चरित्र और चेहरा है जो ज़रूरतन बदलता रहता है. 
मनुवाद ने चांडाल को पशुओं की सीमा रेखा पर रखा है,  
हक़ीक़त यह है कि चोर चांडाल और बरहमन एक ही कुल के होते हैं, 
शेर कुत्ता और क्षत्रीय दूसरे कुल के,
तथा हाथी सुवर और बनिए तीसरे कुल के.

और क़ुरआन कहता है - - - 
"बे शक जो लोग काफ़िर हो चुके हैं, 
बेहतर है उनके हक में, 
ख्वाह उन्हें आप डराएँ या न डराएँ, 
वह ईमान न लाएंगे।
 बंद लगा दिया है अल्लाह ने उनके कानों और दिलों पर और आंखों पर परदा डाल दिया है" 
(सूरह अलबकर -२ पहला पारा अलम आयत 6-7) 

इस मौके पर एक वाकेया गाँव के एक नव मुस्लिम राम घसीटे उर्फ़ अल्लाह बख्श का याद आता है --- 
मस्जिद में नमाज़ से पहले मौलाना पेश आयत को बयान कर रहे थे, 
अल्लाह बख्श भी बैठा सुन रहा था, 
पास में बैठे गुलशेर ने पूछा , 
"अल्लाह बख्श कुछ समझे ? 
"अल्लाह बख्श ने ज़ोर से झुंझला कर जवाब दिया , 
"क्या ख़ाक समझे ! 
"जब अल्लाह मियाँ खुदई दिल पर परदा डाले हैं 
और कानें माँ डाट ठोके हैं. 
पहले परदा और डाट हटाएँ, मोलबी साहब फिर समझाएं" 
भरे नमाज़ियों में अल्लाह की किरकिरी देख कर गुलशेर बोला 
"रहेगा तू काफ़िर का काफ़िर'' 
"तुम्हारे ऐसे अल्लाह की ऐसी की तैसी" 
कहता हुवा घसीटा राम सर की टोपी उतार कर ज़मीन पर फेंकता हुवा मस्जिद के बाहर था.
***


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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