Thursday 20 September 2018

Hindu Dharm Darshan 229


शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (32)
भगवान् कृष्ण कहते हैं - - -
>हे कुंती पुत्र ! मैं जल का स्वाद हूँ, 
सूर्य तथा चंद्रमा का प्रकाश हूँ,
वैदिक मन्त्रों में ओंकार हूँ,
आकाश में ध्वनि हूँ 
तथा मनुष्यों में सामर्थ्य हूँ.
**मैं पृथ्वी की आघ्यसुगंध और अग्नि की ऊष्मा हूँ.
मैं समस्त जीवों का जीवन तथा तपिश्वियों का ताप हूँ. 
***हे पृथा पुत्र ! 
यह जान लो कि मैं ही समस्त जीवों का आदि बीज हूँ, 
बुद्धिमानों की  बुद्धि तथा समस्त तेजस्वी पुरुषों का तेज हूँ.
मैं बलवानों का कामनाओं तथा इच्छा से रहित बल हूँ. 
हे भरत श्रेष्ट अर्जुन ! 
मैं वह काम हूँ जो धर्म के विरुद्ध नहीं.
****तुम जान लो कि मेरी शक्ति द्वारा सारे गुण प्रकट होते हैं, 
चाहे वह सतोगुण हों,रजोगुण हो या तमोगुण हों. 
एक प्रकार से मैं सब कुछ हूँ,
किन्तु हूँ स्वतंत्र. मैं प्रकृति के गुणों के आधीन नहीं हूँ 
अपितु वे मेरे आधीन हैं.
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय  -7  - श्लोक -8 -9 10 11-12 

>हे भगवान् तुम क्या नहीं हो ? बस इतना बतला देते. 
गर्भ से गर्भित, 
योनि से जन्मित, 
माँ बाप द्वारा निर्मित, 
लीलाओं की लीला सहित, 
तुम सब कुछ हो यह बात कहाँ तक और कब तक गिनाते रहोगे, 
केवल इतना बतलाने की ज़रुरत थी कि 
तुम क्या नहीं हो ? 
हे सर्व गुण संपन्न पभु ! 
इस भारत भूमि को आज मानव मात्र गुणों वाला भगवान् चाहिए , 

भगवान् कृष्ण के अंतिम क्षण बहुत कम ऋषि और मुनि दर्शाते हैं. 
बहुत सी किंवदंतियाँ हैं, 
उनमे से एक यह भी है कि महा भारत के बाद दोनों परिवारों कौरवों और पांडुओं का समाप्त हो जाना या बिखर जाना उनका भाग्य बना. 
कुछ बचे हुए दोनों के वारिसों ने जब होश संभाला तो भगवान् की खबर ली 
कि हमारे पूर्वजों के विनाश के दोषी यही भगवान श्री है. 
भगवान् को सजा मिली कि बिना भोजन, वस्त्र के इनको बस्ती के बहर वीरान आम के बाग़ में छोड़ दिया जाए. 
मनादी कराई गई कि कोई उन के पास नहीं जाएगा, न कोई सहायता करेगा.
नंगे पाँव भगवान के पैरों में बबूल के कांटे चुभ गए थे, 
शरीर में ज़हरबाद हो गया था, 
भूखे प्यासे एडियाँ रगड़ते बे यार व् मददगार 18 दिनों तक जीवित रहे, 
फिर दम तोड़ दिया.
कुछ शाश्त्र कहते हैं कि यह उन पर किसी ऋषि (?) का श्राप था. 
आश्चर्य है हिन्दू मैथोलोजी पर 
कि गीता जिनका गुण गान करती है 
उन पर किसी फटीचर ऋषि का साप असर कर जाए ?

और क़ुरआन कहता है - - - 
''उन्हों ने देखा नहीं हम उनके पहले कितनी जमाअतों को हलाक कर चुके हैं, जिनको हमने ज़मीन पर ऐसी कूवत दी थी कि तुम को वह कूवत नहीं दिया और हम ने उन पर खूब बारिश बरसाईं हम ने उनके नीचे से नहरें जारी कीं फिर हमने उनको उनके गुनाहों के सबब हलाक कर डाला''
सूरह अनआम -६-७वाँ पारा आयत (6)

मुहम्मद का रचा अहमक अल्लाह अपने जाल में आने वाले कैदियों को धमकता है कि तुम अगर मेरे जाल में आ गए तो ठीक है वर्ना मेरे ज़ुल्म का नमूना पेश है, देख लो. उस वक्त के लोगों ने तो खैर खुल कर इन पागल पन की बातों का मजाक उडाया था मगर जिहाद के माले-गनीमत की हांडी में पकते पकते आज ये पक्का ईमान बन गया है. यही अलकायदा और तल्बानियों का ईमान है. ये अपनी मौत खुद मरेंगे मगर आम बे गुनाह मुसलमान अगर वक़्त से पहले न चेते तो गेहूं के साथ घुन की मिसाल बन जायगी.
***


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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