मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
सूरह सजदा-३२- २१ वाँ पारा
ये पुडिया छोड़े हुए एकहज़ार बरस से ज्यादह हो गए आपको, और मुसलमान उसे अभी तक खोल नहीं पाए . खुदा करे कि उनको अकले-सलीम आए. वह समझ सकें कि उनको इस्लाम बर्बाद किए हुए है.वही है जानने वाला पोशीदा और ज़ाहिर चीजों का, ज़बर दस्त रहमत वाला है- - -
मगर इतना नहीं जनता कि अंडे में पोशीदा जान होती है जिसे वह कहता है कि "बेजान से जानदार निकलता है .
उसने जो चीज़ बनाई खूब बनाई - - -जैसे तूफ़ान, ज़लज़ला, बीमारी आजारी, भूक, क़त्ल व् ग़ारत गरी, आप की पसंदीदा गिज़ा जिसका मज़ा जैशे-मुहम्मद, अल्क़ायदा, और तालिबान आज तक ले रहे हैं.और इंसान की पैदाइश मिटटी से शुरू की , फिर फिर इसकी नस्ल को खुलासा एख्तेलात(यौन सम्बन्ध) यानी एक बे कद्र पानी से बनाया - - -मुसलमानी से वह पानी निकलता है, जिससे मुसलमान होते हैं. बेश कीमती पानी (बीज) को बेक़द्र बना दिया जिसके दम पर आपने ११-११ बीवियां रखीं. और लौंडियाँ अलग से.फिर इसके अअज़ा दुरुत किए और इसमें अपनी रूह फूंकी - - -अगर अल्लाह अअज़ा दुरुत न करता तो ? मछलियों के अअज़ा दुरुत नहीं हैं तो भी व इकोरियम की ज़ीनत बनी हुई हैं.और तुम को कान आँख और दिल दी, तुम लोग बहुत कम शुक्र करते हो."
बस इतना ही आप जानते हैं? हाथ पाँव, मुंह, कान जैसे हज़ारो अअज़ा इंसानी जिस्म में मौजूद है. हाँ इंसानों को भेजा भी दिया है, शायद मुसलामानों को देना भूल गया.सूरह सजदा-३२- २१ वाँ पारा आयत (३-९)
गौर करें कि अल्लाह इसी एक जुमले में पहले जमा(बहु वचन) में है बाद में वाहिद (एक वचन)हो गया है. ये लग्ज़िशें कुरआन में आम है जो मुहम्मद के अन पढ़ होने की दलील है.सूरह सजदा-३२- २१ वाँ पारा आयत (१३)
सूरह सजदा-३२- २१ वाँ पारा आयत (३०)
अय्यारी और झूट का पुलिंदा है ये कुरआन.
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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