Sunday 3 June 2018



वेद दर्शन                         

 खेद  है  कि  यह  वेद  है  . . .

तां पूष...........................शेष:|| (अथर्व वेद १४-२-३८) अर्थ: हे पूषा, इस कल्याणी औरत को प्रेरित करो 
ताकि वह अपनी जंघाओं को फैलाए 
और हम उनमें लिंग से प्रहार करें.

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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