शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा
गीता का संक्षेप परिचय इस तरह से है कि कौरवों और पांडुओं के बीच हुए युद्ध के दौरान पांडु पुत्र अर्जुन के सारथी (कोचवान) बने भगवान कृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हैं, अर्जुन उनके उपदेश और निर्देश को सुनता है, शंका समाधान करवाता है,
भगवान् उसे जीवन सार समझाते हैं, दोनों की यही वार्तालाप गीता है.
अंधे राजा धृतराष्ट्र का सहायक संजय युद्ध का आँखों देखा हाल सुनाता है.
संजय गीता का ऐसा पात्र है कि जिसमें अलौकिक दूर दृष्टि होती है.
वह कृष्ण और अर्जुन के बीच हुई बात चीत को अक्षरक्षा अंधे धृतराष्ट्र को सुनाता है.
>धृतराष्ट्र ने पूछा ---
धर्म भूमि कुरुक क्षेत्र युद्ध की इच्छा से एकत्र हुए मेरे तथा पांडु के पुत्रों ने क्या किया.
>>संजय ने कहा ---
हे राजन !
पांडु पुत्रों द्वारा सेना की व्यूह रचना देख कर राजा दुर्योधन अपने गुरु के पास गया और उसने यह शब्द कहे---
>>>हे आचार्य !
पांडुओं की विशाल सेना को देखें, जिसे आपके बुद्धिमान शिष्य द्रुपद के पुत्र ने इतने कौशलता से व्यवस्थित किया है.
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय- 1 श्लोक 1-2-3
*गीता क्या है ?
नमूने के तौर पर उपरोक्त तीन श्लोक प्रस्तुत हैं .
अंधे धृतराष्ट्र को संजय अपनी दूर दृष्टिता द्वारा मैदान ए जंग का आँखों देखा हाल सुनाता है,
इसी सन्देश वाहक के सन्देश द्वारा गीता की रचना होती है.
संजय की ही तरह मुहम्मद ने क़ुरआन को आसमान से वह्यि (ईश वाणियाँ) ढोकर लाने वाले फ़रिश्ता जिब्रील को गढ़ा है, जो क़ुरआनी आयतें अल्लाह से ले कर मुहम्मद के पास आता है और इनको उसका पाठ पढ़ाता है. मुहम्मद उसे याद करके लोगों के सामने गाते हैं.
ऐसे चमत्कार को आज, इस इक्कीसवीं सदी में भी बुद्धिहीन हिन्दू और मुसलमान ओढ़ते और बिछाते हैं.
कुरआन कहता है ---
''ये किताब ऐसी है जिस में कोई शुबहा नहीं, राह बतलाने वाली है, अल्लाह से डरने वालों को."
(सूरह अलबकर -२ पहला पारा अलम आयत 2 )
आख़िर अल्लाह को इस क़द्र अपनी किताब पर यक़ीन दिलाने की ज़रूरत क्या है?
इस लिए कि यह झूटी है.
क़ुरआन में एक ख़ूबी या चाल यह है कि मुहम्मद मुसलामानों को अल्लाह से डराते बहुत हैं. मुसलमान इतनी डरपोक क़ौम बन गई है कि अपने ही अली और हुसैन के पूरे ख़ानदान को कटता मरता खड़ी देखती रही,
अपने ही ख़लीफ़ा उस्मान ग़नी को क़त्ल होते देखती रही,
उनकी लाश को तीन दिनों तक सड़ती, खड़ी देखती रही,
किसी की हिम्मत न थी की उसे दफ़नाता,
यहूदियों ने अपने कब्रिस्तान में जगह दी तो मिटटी ठिहाने लगी.
मगर मुसलमान इतना बहादुर है
कि जन्नत की लालच और हूरों की चाहत में सर में कफ़न बाँध कर जेहाद करता है.
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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