Thursday 7 June 2018

Hindu dharm Darshan 191


कुत्तेश्वर बाबा 

योरोप के किसी मुल्क में मैंने देखा कि रेलवे प्लेट फार्म पर पत्थर की बनी हुई कुत्ते की एक मूर्ति है जिसकी कहानी ये है कि एक कुत्ते ने अपने मालिक के इन्तेज़ार में बैठे बैठे कई दिन के बाद दम तोड़ दिया. 
कुत्ता अपने मालिक को रोज़ सुबह की ट्रेन पे छोड़ने आता और शाम को लेने आता. एक दिन मालिक की रेल दुर्घटना में मौत हो गई, वह ट्रेन से कभी नहीं लौटा, कुत्ते का इंतज़ार भी कभी ख़त्म नहीं हुवा. 
कुत्ते की मुहब्बत की यह दास्तान जगी हुई कौम ने इस तरह प्लेट फार्म पर उकेरा. 
अगर यह वाकिया भारत में हुवा होता तो आज कुत्तेश्वर बाबा की एक आलिशान मंदिर बनी होती और दर्जन भर उस मंदिर का अमला होता, 
हजारो लोग कुत्तेश्वर बाबा के भक्त गण होते.
***
भगवान हैं तो हवा के झोंके से गिर कैसे पड़े ?
हमारे पड़ोस में एक बंगाली बाबू का प्लाट था जिस पर वह मकान बनवाने जा रहे थे. 
सब से पहले उन्हों ने ईटों के चट्टे और त्रिपाल से एक कमरा भगवान के लिए बनवाया. 
एक मजदूर को उस कमरे में रख कर भगवान की मूर्ति स्थापित किया और उसको ताक़ीद किया कि रोज़ सुबह शाम तेल बाती करके दिए को जलाए रख्खे. 
बिल्डिंग का काम शुरू हो गया. एक रात तूफ़ान आया, चट्टे का कमरा ढय गया, भगवान की भी औधे मुंह शामत आई. 
सुबह बंगाली बाबू आए. मजदूर जिसे रात में मैं  ने शरण दे रखा था, उनके सामने आया. वह ग़ुस्से में उसे डांटने लगे, 
तुम यहाँ हो और भगवान को देखा ? 
नाली में गिरे पड़े हुए हैं ? 
मजदूर देर तक उनको झेलता रहा, 
आखिर ज़बान खोली, कहा - -
"भगवान हैं तो हवा के झोंके से गिर कैसे पड़े ? 
उठ क्यूँ नहीं सके ?"
मज़दूर के इस सवाल का जवाब बड़े बड़े धर्म शाश्त्रियों के पास नहीं है. 
कितनी बड़ी विडंबना है कि सच्चा मज़दूर भूखा और नंगा है 
और झूटे धर्म के दलाल ऐश कर रहे हैं.  

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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