Tuesday 6 October 2020

मुहम्मद का ज़ेह्नी मेयार


मुहम्मद का ज़ेह्नी मेयार 

"क़ुरआन  में कीड़े निकलना भर मेरा मक़सद नहीं है बहुत सी अच्छी बातें हैं, इन पर मेरी नज़र क्यूँ नहीं जाती?" 
अकसर ऐसे सवाल आप की नज़र के सामने मेरे ख़िलाफ़ कौधते होंगे. 
बहुत सी अच्छी बातें, बहुत ही पहले कही गई हैं, एक से एक अज़ीम हस्तियां और नज़रियात इसलाम से पहले इस ज़मीन पर आ चुकी हैं 
जिसे कि क़ुरआनी अल्लाह तसव्वुर भी नहीं कर सकता. 
अच्छी और सच्ची बातें फ़ितरी होती हैं जिनहें आलमीं सचचाइयाँ भी कह सकते हैं. क़ुरआन  में कोई एक बात भी इसकी अपनी सच्चाई या इंफ़रादी सदाक़त नहीं है. हजारों बकवास और झूट के बीच अगर किसी का कोई सच आ गया हो तो उसको क़ुरआन  का नहीं कहा जा सकता,
"माँ बाप की ख़िदमत करो" 
अगर क़ुरआन कहता है तो इसकी अमली मिसाल श्रवण कुमार इस्लाम से सदियों पहले क़ायम कर चुका है. 
मौलाना कूप मडूकों का मुतालिआ क़ुरआन तक सीमित है 
इस लिए उनको हर बात क़ुरआन में नज़र आती है. 
यही हाल अशिक्षित मुसलमानों का है. 
क़ुरान कि एक आयत मुलाहिज़ा हो 
''अल्लाह की आयातों को झुटलाने वाले लोग कभी भी जन्नत में न जावेंगे जब तक कि ऊँट सूई के नाके से न निकल जाए.''
अलएराफ़ 7 आयत (40)
''ऊँट सूई के नाके से निकल सकता है मगर दौलत मंद जन्नत में कभी दाखिल नहीं हो सकता''
ईसा की नक़ल में मुहम्मद की कितनी फूहड़ मिसाल है जहाँ अक़्ल का कोई नामो निशान नहीं है. शर्म तुम को मगर नहीं आती. 
मुसलमानों तुम ही अपने अन्दर थोड़ी ग़ैरत लाओ.ईसा कहता है - - -
''ऐ अंधे दीनी रहनुमाओं! तुम ढोंगी हो, मच्छर को तो छान कर पीते हो और ऊँट को निगल जाते हो.'' 
मुवाज़ना करें मुस्लिम अपने कठमुल्ल्ले सललललाहो अलैहे वसल्लम को शराब में टुन्न रहने वाले ईसा से.
*** 
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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