Friday 24 August 2018

Soorah e shoara 26 – Q -2

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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सूरह -शोअरा 26
क़िस्त- 2

फ़िरऔन : -- "रब्बुल आलमीन की हक़ीक़त क्या है? "
मूसा : -- "वह परवर दिगार है मशरिक और मग़रिब का और जो कुछ इसके दरमियान है उसका भी, 
अगर तुमको यक़ीन करना हो."
फ़िरऔन : -- "(अपने लोगों से कहा) तुम लोग सुनते हो ?
मूसा :-- "वह परवर दिगार है, तुम्हारा और तुम्हारे पहले बुज़ुर्गों का "
फ़िरऔन : --"ये जो तुम्हारा रसूल है, ख़ुद साख़्ता तुम्हारी तरफ़ रसूल बन कर आया है, मजनू है."
मूसा :-- "वह परवर दिगार है मशरिक और मगरिब का और जो कुछ इसके दरमियान है, उसका. भी, अगर तुमको अक़्ल  हो."
फ़िरऔन (झल्लाकर) : --"अगर तुम मेरे सिवा कोई और माबूद तस्लीम करोगे तो तुम को जेल खाने भेज दूंगा."
मूसा : -- "अगर मैं कोई सरीह दलील पेश करूँ तब भी. ?
फ़िरऔन : --"अच्छा तो दलील पेश करो, अगर तुम सच्चे हो ."
मूसा ने अपनी लाठी डाल दी तो वह एक नुमायाँ अज़दहा  बन गया और अपना हाथ बाहर निकाला तो दफ़अतन सब देखने वालों के रूबरू बहुत ही चमकता हुवा हो गया.
 फ़िरऔन:--(ने अहले-दरबार से जो उसके आसपास थे कहा) : -- "इसमें कोई शक नहीं की ये शख़्स  बड़ा माहिर जादूगर है, इसका मतलब ये है कि तुमको तुम्हारी सर ज़मीन से बाहर कर देगा तो तुम क्या मशवि रहदेते हो "
दरबारियों ने कहा : -- "आप उनको और उनके भाई को मोहलत दीजिए. और शहरों में चपरासियों को भेज दीजिए कि वह सब जादूगरों को आप के पास हाज़िर करें"
(गोया फ़िरऔन बादशाह न था बल्कि किसी सरकारी आफ़िस का अफ़सर था जो चपरासियों से काम चलाता था कि वह मिस्र के शहरों में जाकर बादशाह के हुक्म की इत्तेला अवाम तक पहुंचाते थे)
गरज़ वह सब जादूगर मुअय्यन दिन पर, ख़ास वक़्त पर जमा किए गए और लोगों को इश्तेहार दिए गए कि क्या तुम जमा हो गए, ताकि अगर जादूगर ग़ालिब आ जावें तो हम उन्हीं की  रहपर रहें .
फिर जब वह जादूगर आए तो फ़िरऔन से कहने लगे अगर हम ग़ालिब हो गए तो क्या हमें कोई बड़ा सिलह मिलेगा?
फ़िरऔन : --"हाँ! तुम हमारे क़रीबी लोगों में दाख़िल हो जाओगे "
मूसा : -- ( जादूगरों से )"तुम को जो कुछ डालना हो डालो"
चुनाँच उन्हों ने अपनी रस्सियाँ और लाठियाँ  डालीं और कहने लगे की फ़िरऔन के इक़बाल की क़सम हम ही ग़ालिब होंगे.
मूसा ने अपना असा (लाठी) डाला सो असा के डालते ही उनके तमाम तर बने बनाए धंधे को निगलना शुरू कर दिया. जादूगर सब सजदे में गिर गए, और कहने लगे हम ईमान ले आए रब्बुल आलमीन पर जो मूसा और हारुन का भी रब है.
फ़िरऔन : -- "हाँ! तुम मूसा पर ईमान ले आए बग़ैर इसके कि मैं तुम को इसकी इजाज़त देता, ज़रूर ये तुम सब का उस्ताद है जिसने तुम को जादू सिखलाया है, सो अब तुम को हक़ीक़त मालूम हुई जाती है.  मैं तुम्हारे एक तरफ़ के हाथ और दूसरे तरफ़ के पैर काटूँगा ."
जादूगर :-- "कोई हर्ज नहीं हम अपने रब के पास जा पहुच जाएँगे. हम उम्मीद करंगे कि हमारे परवर दिगार हमारी ख़ता ओं को मुआफ़ कर दे, सो इस वजेह से कि हम सब से पहले ईमान ले आए ."
रब्बुल आलमीन :--और हमने मूसा को हुक्म भेजा कि मेरे इन बन्दों को रातो रात बाहर निकाल ले जाओ .
फ़िरऔन : -- "तुम लोगों का पीछा किया जाएगा, उसने पीछा करने के लिए शहरों में चपरासी दौड़ाए कि ये लोग थोड़ी सी जमाअत हैं और इन लोगों ने हमको बहुत ग़ुस्सा दिलाया है और हम सब एक मुसल्लह जमाअत हैं''
रब्बुल आलमीन :--  ''गरज़ हम ने उनको बाग़ों  से और चश्मों से और खज़ानों से और उमदः मकानों से बाहर किया. और उसके बाद बनी इस्राईल को उनका मालिक बना दिया. गरज़ सूरज निकलने से पहले उनको जा लिया. फिर जब दोनों जमाअतें एक दूसरे को देखने लगीं तो मूसा के हमराही कहने लगे कि बस, हम तो हाथ आ गए ''
मूसा :-- "हरगिज़ नहीं ! क्यूं कि मेरे हम रहमेरा परवर दिगार है, वह मुझको अभी रास्ता बतला देगा "
रब्बुल आलमीन :--''फिर हमने हुक्म दिया कि अपने असा को दरिया में मारो, चुनाँच वह दरिया फट गया और हर हिस्सा इतना था जैसे बड़ा पहाड़. हमने दूसरे फरीक़ को भी मौक़े के क़रीब पहुँचा दिया और हम ने मूसा को और उनके साथ वालों को बचा लिया फिर दूसरे को ग़र्क़ कर दिया और इस वाक़िए में बड़ी इबरत है और बावजूद इसके बहुत से लोग ईमान नहीं लाते और आप का रब बहुत ज़बरदस्त है और बड़ा मेहरबान है.
सूरह -शोअरा २६ - आयत  (10-64) 

मूसा की कहानी कई बार क़ुरआन  में आती है, मुख़्तलिफ़ अंदाज़ में. 
एक कहानी मैंने बतौर नमूना पेश किया आप के समझ में आए या न आए मगर है ये ख़ालिस तर्जुमा, 
बग़ैर मुतरज्जिम की बैसाखियों के. 
कोई अल्लाह तो इतना बदज़ौक़ हो नहीं सकता कि अपनी बात को इस फूहड़ ढंग से कहे, 
उसकी क्या मजबूरी हो सकती है? 
ये मजबूरी तो मुहम्मद की है कि उनको बात करने तमीज़ भी नहीं थी. 
ऐसी ही हर यहूदी हस्तियों की मुहम्मद ने दुर्गत की है. 
अल्लाह को जानिबदार, चालबाज़, झूठा और जालसाज़ हर कहानी में साबित किया गया है.


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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