Thursday 11 June 2020

गन्ना बाबा

गन्ना बाबा

मेरी नानी अपने बुज़ुर्गों का तज़करा अक्सर किया करती जिसे मैं कहानी की तरह सुनता था. 
एक रात कहानी सुनाने के इसरार पर वह अपने एक पुरखे की दास्तान ले बैठीं, 
 नाम था उनका गन्ना बाबा, 
वह जितने संपन्न थे, उतने ही अड़ियल. 
गन्ना बाबा की एक बुरी आदत थी कि वह अफ़ीम खाते थे. 
फ़ायदे में वह कहते थे कि उन पर किसी जीव जंतु के काटने का कोई असर नहीं होता, मच्छर हो या सांप. 
एक दिन उन्होंने हज करने का इरादा किया और वक़्त आने पर अपने साज़ो सामान और अफ़ीम का भारी स्टॉक लेकर निकल पड़े. 
उस ज़माने में हज पैदल या जानवरों की सवारी से होता था. 
छः महीने में जब गन्ना बाबा मक्का पहुंचे तो हाकिम ने उन्हें अफ़ीम का स्टॉक देख कर रोक लिया, 
 गन्ना बाबा ने हाकिम से कहा कि हुज़ूर यह मेरी ग़िज़ा है, 
आप मुझे रोक नहीं सकते. 
मैं अपनी खूराक से एक रत्ती भी किसी को नहीं दूंगा. 
हाकिम ने कहा ठीक है तुम्हारी ख़ूराक है तो इसमें से एक पाँव अफ़ीम खाकर दिखलाओ, बच गए तो जाने दूंगा, 
गन्ना बाबा ने हुक्म की तामील की और खा गए एक पाव अफ़ीम. 
दूसरे दिन वह मक्का में दाख़िल थे.
  कोरोना की वबा, एक नए कीटाणु के साथ इंसानों पर टूटी है. 
नित नए नए प्रयोग किए जा रहे हैं, अँधेरे में लाठी भान्ने की तरह. 
इस विषय में बाबा लाल बुझक्कड़ की राय भी आई है 
कि सरसों का तेल नाक में डालो. 
रात भर में कोरोना कीटाणु गुदा द्वार से बाहर गिरें गे. 
अब मुझे भी राय देने का हक़ तो बनता है - - - 

कोरोना कीटाणु सफ़ाई पसंद हैं, सेनिटाइज़र किए हुए हाथ पर ही चिपकते है. मिनिरल वाटर और मिनिरल फूडर देह ही उनको रास आते है. 
ब्रिटेन के राज कुमार और प्रधन मंत्री इसकी मिसाल हैं. 
पांच करोड़ मज़दूर एक महीने से भारत की सड़कों पर बेयार व मदद गार चल कर मंजिल तलाश कर रहे हैं. 
कोई कोरोना से नहीं मरा, भले भूक प्यास और थकान से मरे हों. 
उनका देह गन्ना बाबा की देह है, उन पर टूटेंगे तो ख़ुद फना हो जाएंगे. 

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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