Friday 27 April 2018

Soorah yusuf 12 Q 1

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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सूरह यूसुफ़ -१२ 

(क़िस्त -1)

बनी इस्राईल का हीरो यूसेफ़, मशहूरे-ज़माना जोज़फ़ और अरब दुन्या का जाना माना किरदार यूसुफ़ इस सूरह का उन्वान है जिसे अल्लाह उम्दः क़िस्सा कहता है. 
क़ुरआन में यूसुफ़ का क़िस्सा बयाने-तूलानी है जिसका मुख़फ़फ़फ़ (सारांश) पेश है - - - 
''अलरा ? 
"यह किताब है एक दीन वाज़ेह की. हमने इसको उतारा है क़ुरआन अरबी में ताकि तुम इसे समझो. हमने जो यह क़ुरआन आपके पास भेजा है इसके ज़रीए हम आप से एक बड़ा उम्दा क़िस्सा बयान करते है और इसके क़ब्ल आप महज़ बे ख़बर थे.''
क़ुरआन जिसे आप चूमा चाटा करते हैं और सर पे रख कर उसकी अज़मत बघारते हैं उसमें क़िस्सा और कहानियाँ भी हैं जो कि मुस्तनद तौर पर झूट हुवा करती हैं, वह भी नानियों और दादियों की तरह अल्लाह जल्ले जलालहू अपने नाती मुहम्मद को जिब्रील के माध्यम से सुनाता है और फिर वह बन्दों को रिले करते हैं.
मुसलमानों! 
कितनी बकवास है क़ुरआन की हक़ीक़त. 
अल्लाह ख़ुद की पीठ ठोंकते हुए कहता है - - -
''हम आप से एक बड़ा उम्दा क़िस्सा बयान करते है''
इसके क़ब्ल आप देख चुके हैं कि उसको क़िस्सा गोई का कितना फूहड़ सलीक़ा है. 
मज़े की बात यह है कि अल्लाह यह एलान करता है कि 
''और इसके क़ब्ल आप महज़ बे ख़बर थे.'' 

मिस्र के बादशाह फ़िरआना को मूसा चकमा देकर अपनी यहूदी क़ौम को मिस्रियों के चंगुल से निकाल ले जाना, 
नड सागर जिससे क़ुरआन नील नदी कहता है, में मिसरी लश्कर का डूब कर तबाह हो जाना, 
मूसा से लेकर मुहम्मद तक ६०० साल का सब से बड़ा वाक़ेआ था जिसे कि अरब दुनिया का बच्चा बच्चा जानता है, 
गाऊदी मोहम्मदी अल्लाह कहता है 
''और इसके क़ब्ल आप महज़ बे ख़बर थे."

''यह ठीक इसी तरह है कि जैसे कोई पंडा हिन्दुओं से कहे कि मैं तुम को एक अनोखी कथा सुनाता हूँ 
और वाचना शुरू कर दे रामायण. 

लीजिए सदियों चर्चित रहे अंध विश्वास के इस दिल चस्प क़िस्से से आप भी लुत्फ़ अन्दोज़ होइए. 
गोकि मुहम्मद ने बीच बीच में इस क़िस्से में भी अपने प्रचार का बाजा बजाया है मगर मैं उससे आप को बचाता हुवा और उनके फूहड़ अंदाज़ ए बयान को सुधरता हुवा क़िस्सा बयान करता हूँ. 

''याकूब अपनी सभी बारह औलादों में अपने छोटे बेटे यूसुफ़ को सब से ज़्यादः चाहता है. 
यह बात यूसुफ़ के बाक़ी सभी भाइयों को खटकती है, इस लिए वह सब यूसुफ़ को ख़त्म कर देने के फ़िराक़ में रहते हैं. इस बात का ख़दशा याक़ूब को भी रहता है. 
एक दिन यूसुफ़ के सारे भाइयों ने साज़िश करके याक़ूब को राज़ी किया कि वह यूसुफ़ को सैर व तफ़रीह के लिए बाहर ले जाएँगे, याक़ूब राज़ी हो गया. वह सभी यूसुफ़ को जंगल में ले जाकर एक अंधे कुँए में डाल देते हैं और यूसुफ़ का ख़ून आलूद कपड़ा लाकर याकूब के सामने रख कर कहते हैं कहते हैं कि यूसुफ़ को भेडिए खा गए. 
याक़ूब यूसुफ़ की मौत को सब्र करके ज़ब्त कर जाता है.

उधर कुँए से यूसुफ़ की चीख़ पुकार सुन कर राहगीर ताजिर  उसे कुँए से निकाल लेते हैं और बच्चे को माल ए तिजारत में शामिल कर के आगे बढ़ लेते हैं. 
ताजिर उसे मिस्र ले जाकर अज़ीज़ नामी फ़िरऑन के जेलर के हाथों फ़रोख़्त कर देते हैं. 
निःसंतान जेलर अज़ीज़ इस ख़ूब सूरत बच्चे को अपना बेटा बनाने का फ़ैसला करता है मगर यूसुफ़ के जवान होते होते अज़ीज़ की बीवी ज़ुलेख़ा इसको चाहने लगती है. 
एक रोज़ ज़ुलेख़ा इसको अकेला पाकर इस की क़ुरबत हासिल करने की कोशिश करती है लेकिन यूसुफ़ बच बचा कर इसके जाल से भाग निकलने की कोशिश करता है, 
तब ज़ुलेख़ा इसका दामन पकड़ लेती है जो कि कुरते से अलग होकर ज़ुलेख़ा के हाथ में आ जाता है. 
इसी वक़्त इसका शौहर अज़ीज़ घर में दाख़िल होता है, ज़ुलेख़ा अपनी चाल को उलट कर यूसुफ़ पर इलज़ाम लगा देती है कि यूसुफ़ उसकी आबरू रेज़ी पर आमादः होगया था. वह अज़ीज़ से यूसुफ़ को जेल में डाल देने की सिफ़ारिश भी करती है.
बात बढ़ती है तो मोहल्ले के कुछ बड़े बूढ़े बैठ कर मुआमले का फ़ैसला करते हैं और साबित करते हैं कि यूसुफ़ बच कर भागना चाहता था, इसी लिए कुरते का पिछला दामन ज़ुलेख़ा के हाथ लगा. 
मुखिया ज़ुलेख़ा को कुसूर वार ठहराते हैं और बाद में ज़ुलेख़ा भी अपनी ग़लती को तस्लीम कर लेती है. 
इससे मोहल्ले की औरतों में उसकी बदनामी होती है कि वह अपने ग़ुलाम पर रीझ गई. 
जब ये बात ज़ुलेख़ा के कानों तक पहुंची तो उसने ऐसा किया कि मोहल्ले की जवान औरतों की दावत की और सबों को एक एक चाक़ू और एक एक नीबू थमा दिया फ़िर यूसुफ़ को आवाज़ लगाई. यूसुफ़ दालान में दाखिल हुवा तो हुस्ने- यूसुफ़ देख कर औरतों ने चाकुओं से नीबू काटने के बजाएअपने अपने हाथों की उँगलियाँ काट लीं.
अपने तईं औरतों की दीवानगी देख कर यूसुफ़ को अंदेशा होता है कि वह कहीं किसी गुनाह का शिकार न हो जाए, अज़ ख़ुद जेल ख़ाने में रहना बेहतर समझता है. 
जेल में उसके साथ दो ग़ुलाम क़ैदी और भी होते हैं जिनको वह ख़्वाबों की ताबीर बतलाता रहता है जो कि सच साबित होती हैं. कुछ ही दिनों बाद वह क़ैदी रिहा हो जाते हैं.

एक रात बादशाह ए मिस्र एक अजीब ओ ग़रीब ख़्वाब देखता है कि दर्याए नील से निकली हुई सात तंदुरुस्त गायों को सात लाग़र गाएँ खा गईं और सात हरी बालियों के साथ सात सूखी बालियाँ मौजूद हैं. 
सुब्ह को बादशाह ने ख़्वाब की चर्चा अपने दरबारियों में की मगर ख़्वाब की ताबीर बतलाने वाला कोई आगे न आ सका. ये बात उस ग़ुलाम क़ैदी तक पहुँची जो कभी यूसुफ़ के साथ जेल में था. बादशाह ने दरबार में ख़बर दी कि जेल में पड़ा इब्रानी क़ैदी ख़्वाबों की सही सही ताबीर बतलाता है, उस से बादशाह के ख़्वाब की ताबीर पूछी जाए, बेतर होगा.
यूसुफ़ को जेल से निकाल कर दरबार में तलब किया जाता है. ख़्वाब को सुन कर ख़्वाब की ताबीर वह इस तरह बतलाता है कि आने वाले सात साल फ़सलों के लिए ख़ुश गवार साल होंगे और उसके बाद सात साल ख़ुश्क साली के होंगे. सात सालों तक बालियों में से अगर ज़रुरत से ज़्यादः दाना न निकला जाए तो अगले सात साल भुखमरी से अवाम को बचाया जा सकता है.
फ़िरआना (फ़िरौन) इसकी बतलाई हुई ताबीर से ख़ुश होता है और यूसुफ़ को जेल से दरबार में बुला कर इसका ज़ुलैख़ा से मुतालिक़ मुक़दमा नए सिरे से सुनता है, पिछला दामन ज़ुलैख़ा के हाथ में रह जाने की बुनियाद पर यूसुफ़ बा इज़्ज़त बरी हो जाता है. यूसुफ़ को इस मुक़दमे से और ख़्वाब की ताबीर से इतनी इज़्ज़त मिलती है कि वह बादशाह के दरबार में वज़ीर हो जाता है.
बादशाह के ख़्वाब के मुताबिक सात साल तक मिस्र में बेहतर फ़सल होती है जिसको यूसुफ़ स्टोर करता रहता है, इसके बाद सात सालों की क़हत साली आती है तो यूसुफ़ अनाज के तक़सीम का काम अपने हाथों में ले लेता है. 
क़हत की मार यूसुफ़ के मुल्क कन्नान तक पहुँचती है और अनाज के लिए एक दिन यूसुफ़ का सौतेला भाई भी उसके दरबार में आता है जिसको यूसुफ़ तो पहचान लेता है मगर वज़ीर ए खज़ाना को पहचान पाना उसके भाई के लिए ख़्वाब ओ ख़याल की बात थी. 
यूसुफ़ भाई की ख़ास ख़ातिर करता है और उसके घर की जुगराफ़िया उसके मुँह से उगलुवा लेता है. 
वक़्त रुख़सत यूसुफ़ अपने भाई को दोबारा आने और गल्ला ले जाने की दावत देता है और ताक़ीद करता है कि वह अपने छोटे भाई को ज़रूर ले आए.
(दर अस्ल छोटा भाई यूसुफ़ का चहीता था, इसका नाम था बेन्यामीन). 
यूसुफ़ ने वह रक़म भी अनाज की बोरी में रख दी जो ग़ल्ले की क़ीमत ली गई थी. 
यूसुफ़ का सौतेला भाई जब अनाज लेकर कन्नान बाप याक़ूब के पास पहुँचा तो वज़ीर ख़ज़ाना ए मिस्र की मेहर बानियों का क़िस्सा सुनाया और कहा कि चलो खाने का इंतेज़ाम हो गया और साथ में यह भी बतलाया कि अगली बार छोटे बेन्यामीन को साथ ले जाएगा, 
बेन्यामीन का नाम सुन कर याक़ूब चौंका, 
कहा कहीं यूसुफ़ की तरह ही तुम इसका भी हश्र तो नहीं करना चाहते? 
मगर बाद में वह राज़ी हो गया. 
कुछ दिनों के बाद याक़ूब के कुछ बेटे बेन्यामीन को साथ लेकर मिस्र अनाज लेने के लिए पहुँचते हैं. 
यूसुफ़ अपने भाई बेन्यामीन को अन्दरूने-महल ले जाता है और इसे लिपटा कर खूब रोता है और अपनी पहचान को ज़ाहिर कर देता है. 
वह आप बीती भाई को सुनाता है और मंसूबा बनाता है कि तुम पर चोरी का इलज़ाम लगा कर वापस नहीं जाने देंगे, गरज़ ऐसा ही किया. 
बग़ैर बेन्यामीन के यूसुफ़ के सौतेले भाई याक़ूब के पास पहुँचे तो उस पर फ़िर एक बार क़यामत टूटी. 
उसने सोचा कि यूसुफ़ की तरह ही बेन्यामीन को भी इन लोगों ने मार डाला.

कुछ दिनों बाद यूसुफ़ सब को मुआफ़ कर देता है और बादशाह के हुक्म से सब भाइयों, माओं और बाप को मिस्र बुला भेजता है. 
याक़ूब के बेटे याक़ूब को, यूसुफ़ की माँ को लेकर यूसुफ़ के पास पहुँचते हैं, 
यूसुफ़ अपने माँ बाप को तख़्त शाही पर बिठाता है, 
उसके सभी ग्यारह भाई उसके सामने सजदे में गिर जाते हैं, 
तब यूसुफ़ अपने बाप को बचपन में देखे हुए अपने ख्व़ाब को याद दिलाता है कि 
मैं ने चाँद और सूरज के साथ ग्यारह सितारे देखे थे 
जो कि उसे सजदा कर रहे थे, उसकी ताबीर आप के सामने है.'' 
( क़ुरआनी तहरीर का इस्लाही तर्जुमा.) 



जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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