Saturday 14 December 2019

क़ुरआन क्या है ?


क़ुरआन क्या है ?

सूरह अव्वल यानी सूरह फ़ातेहा में मैंने आपको बतलाया था कि 
मुहम्मद ख़ुद अपने कलाम को अल्लाह बन कर फ़रमाने की नाकाम कोशिश की, जिसे ओलिमा ने क़लम का ज़ोर दिखला कर कहा कि अल्लाह कभी अपने मुँह से बोलता है, कभी मुहम्मद के मुँह से, तो कभी बन्दे के मुँह से बोलता है. 
बोलते बोलते देखिए कि आख़िर में अल्लाह की बोलती बंद हो गई, 
उसने सच बोलकर अपनी ख़ुदाई के खात्मे का एलान कर दिया है.
क़ुरआन की 30 सूरतों का सिलसिला बेतुका सा है, 
कोई सूरह इस्लाम के वक़्त ए इब्तेदा की है तो अगली सूरह आख़िर दौर की है. 
बेहतर यह होता कि इसे मुरत्तब करते वक़्त मुहम्मद की 
तहरीक के मुताबिक इस का सिसिला होता. खैर, 
इस्लाम की तो सभी चूलें ढीली हैं, उनमें से एक यह भी है. 
इस ख़ामी से एक फ़ायदा यह हुवा है कि इन आख़िरी दो सूरतों में इस्लाम की वहदानियत की हवा ख़ुद मुहम्मदी अल्लाह ने निकाल दिया है. 
अल्लाह जिब्रील के मार्फ़त जो पैगाम मुहम्मद के लिए भेजता है 
उसमे मुहम्मद उन तमाम कुफ्र के माबूदों से पनाह माँगते है, 
अल्लाह की, जिसे हमेशा नकारते रहे, जिससे साबित है 
कि उनमें ख़ुदाई करने का दम है. 
इस सूरह में अल्लाह तमाम माबूदों को पूजने का मश्विरः देता है 
क्यूंकि वह बीमारी से निढाल है.
मुहम्मद शदीद बीमार हो गए थे, कहते हैं कि उनका पेट फूल गया था, 
जिसकी वजेह थी कि कुछ यहूदिनों ने उन पर जादू टोना कर दिया था 
कि उनकी बजने वाली मिटटी जाम हो गई थी 
और उनका बजना बंद हो गया था.
पिछली सूरतों में उन्होंने फ़रमाया है कि (इंसान बजने वाली मिटटी का बना हुवा है) पेट इतना फूल गया था कि बांसुरी बजना बंद हो गई थी. 
जिब्रील अलैहिस सलाम वह्यि लेकर आए और मंदर्जा ज़ेल आयतें पढनी शरू कीं, 
तब जाकर धीरे धीरे उनका जाम खुलने लगा, उनसे जिब्रील ने कहलवाया कि - - -
नमाज़ियो !
सूरह फ़लक और सूरह नास के बारे में वाक़िया है कि यहूदिनों ने मुहम्मद पर जादू टोना करके उनको बीमार कर दिया था, तब अल्लाह ने यह दोनों सूरतें बयक वक़्त नाजिल कीं, घर की तलाशी ली गई, एक ताँत (सूखे चमड़े की रस्सी) की डोरी मिली, जिसमे ग्यारह गाठें थीं. इसके मुक़ाबिले में जिब्रील ने मंदर्जा ग्यारह आयतें पढ़ीं, 
हर आयत पर डोरी की एक एक गाठें खुलीं, और सभी गांठें खुल जाने पर मुहम्मद चंगे हो गए.
जादू टोना को इस्लामी आलिम झूट क़रार देते हैं, 
जब कि इसके ताक़त के आगे उनके रसूल अल्लाह की अमाँ चाहते हैं.
यह क़ुरआन क्या है?
राह भटके हुए मुहम्मदी अल्लाह की भूल भुलय्या ? 
या मुहम्मद की, अल्लाह का पैग़मबर बन्ने की चाहत ?

मुसलमानों!
मैं तुम्हारा और तुम्हारी नस्लों का सच्चा ख़ैर ख़्वाह हूँ , इस लिए कि दुन्या की कोई क़ौम तुम जैसी सोई हुई नहीं है. माजी परस्ती तुम्हारा ईमान बन गया है, 
जब कि मुस्तक़बिल पर तुम्हारे ईमान को क़ायम होना चाहिए. 
हमारी तहक़ीक़ात और हमारे तजुरबे, हमारे अभी तक के सच है, 
इन पर इमान लाओ. कल यह झूट भी साबित हो सकते हैं, 
तब तुम्हारी नस्लें फिर एक बार नए सच पर ईमान लाएँगी, 
उनको इस बात पर लाकर क़ायम करो, 
और उनको इस्लाम से नजात दिलाओ.
***
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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