Thursday 5 December 2019

प्रतिक्रियाएं


प्रतिक्रियाएं

मेरे हिंदी आर्टकिल "लिंग भेद" पर काफी कमेंटस पढ़ने को मिल रहे हैं. 
जो पाठक मेरे इस्लाम के जायज़ विरोध पर मेरी हिम्मत की दाद देते हैं, 
वही पाठक हिन्दू आस्था और मान्यता को लेकर मेरे जायज़ जायज़े पर आग बग़ुला हो रहे है. कहते है यह उनकी 5000 साल पुरानी आस्था है . 
मुस्लिम अक़ीदा क्या है ? हिन्दू आस्था है क्या ? 
कठ मुल्लों और पोंगा पंडितों की कल्पनाओं के सिवा 
कोई ठोस आधार रखती हैं यह गाथाएँ रुपी आस्थाएं ? 
अगर इस्लाम 1400 साल पुराना बदबूदार व्यंजन है, 
तो 5000 साल पुरानी वैदिक आस्थाएँ इस्लाम से चार ग़ुणा दुर्गंधित हैं. 
पोंगों ने 1000 ग़ुणा अतिश्यक्ति से काम लिया है. 
राम और कृष्ण काल को हज़ारों साल पुराना बतलाया 
और ढाई अरब साल का एक काल चक्र ? 
क्या इन बातों पर यक़ीन किया जाय ? 
बाल्मीकि का समय अल्तुतमिश के समय काल का है.
बाल्मीकि जिनके संक्षण में सीता अपने दो बेटों के साथ बिठूर में रहती थीं. 
इससे तमाम वास्तविकता खुलती है. 
तुलसी दास की रचित कल्पनाएँ हिदू धर्म बन गई हैं? 
राम के बाद कृष्ण हुए और महा भारत अभी कल की बात लगती है.
ग़ुरु गाँव ग़ुड़गांव हुवा अब ग़ुरु ग्राम हो गया. 
शिव जी की बारात हरिदर निवासी अभी अपने पूर्वजों की कथाओं में समेटे हुए हैं.
 शिव जी मुसलामानों के बाबा बर्फ़ानी बने हुए हैं 
जिनकी छड़ी मुबारक के दर्शन आज कराए जाते है. 
यही शिव जी ब्रह्मा विष्णु के साथ महेष बन कर ब्रह्मांड का सर्व नाश 
ढाई अरब साल बाद करते है > 
कोई हद होती है स्वयं घात की ? 
मैं मुसलमानों के साथ साथ अपने हिदू भाइयों को भी जागृत करना चाहता हूँ. 
***
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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