Thursday 26 December 2019

त्याग


त्याग
मोदी जी ! 
आपने काले धन को ज़प्त करके इसका कुछ भाग ग़रीब कल्याण कोष में डालने की,  बात जो आपने की है, सराहनीय है. 
(ख़बर   है कि अभी तक आप 70 करोड़ रु अपने परिधानों पर खर्च कर चुके हैं. 
ख़ुदा करे ख़बर ग़लत हो.)
और अगर ख़बर सही है अफ़सोस नाक है.
और अशोभनीय भी.
ग़ौर तलब है कि नए भारत के मेमार पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु रईस बाप की रईसी और रियासत को त्याग कर देश की रचना में लग गए और इंदिरा के लिए अपनी रायल्टी के अलावा कुछ नहीं छोड़ा.
ग़ौर तलब है कि पूर्व प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री को एक नया कोट सिलवाने के लिए बड़े यत्न करने पड़े थे. ग़रीब जनता का असली प्रधान मंत्री.
तीसरी प्रधान मंत्री इंद्रा गाँधी कुछ राजनीतिज्ञों के लिए अभिशाप ज़रूर थीं मगर जनता बाएँ बाजू चलना सीख गई थी अफ़सर शाही रिश्वत लेना भूल गई थी, 
दो नम्बरी विलास की वस्तुएँ घूरों पर फेकी जाने लगी थीं. 
आज़ाद भारत की स्वच्छ तस्वीर थी इमर्जन्सी.
इतिहास में मुरारजी देसाई भी आए जो मुरारजी कोला के साथ सौ ग्राम बादाम से दिन की शुरुआत करते थे, सिंडी केट का डुप्लीकेट प्रधान मंत्री. निर्धन भारत के इतिहास को नापाक कर गया . 
एक कांग्रेसी प्रधान मंत्री और - - - 
राजा माँढा विश्व नाथ सिंह जिनकी पहचान इस तरह से हुई थी , 
राजा नहीं फ़क़ीर है , भारत की तक़दीर है. 
अपने बीवी के हाथों बना सरसों का साग, मक्का की रोटी, 
प्रधान मंत्री निवास में रह कर खाता था, 
अपना सारा रजवाडा दान करके समाज सेवा को समर्पित हुए, 
बहुत सादगी से जीवन व्यातीत किया प्रधान मंत्री की कुर्सी तक पहुंचे, 
दोबारा फिर उनको लोगों ने प्रधान मंत्री बनाने के लिए ढूँढते रहे, 
वह अज्ञात वास में चले गए थे .
राजीव गाँधी का नाम भी प्रधान मंत्रियों में आना चाहिए, 
एक ड्राइवर के हाथों में मकैनिक का काम सौंप दिया गया. 
जनता भावुक थी, मगर मगर एक इन्तेहाई शरीफ़ और नेक इंसान 
भारत को कंप्यूटर मकैनिकिज्म की फुलवारी सजा कर दे गया. 
बहादुरी के साथ देश के लिए समर्पित होकर जान को त्याग दिया.  
आप भी कहते है कि आपने सब कुछ त्यागा ? 
चाय बेचने वाले के बेटे ने क्या त्यागा ?? 
था ही क्या त्यागने के लिए ???
सिवाए मल मूत्र .
***
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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