Tuesday 3 December 2019

आत्मा=रूह



आत्मा=रूह 
आत्मा या रूह जैसी परिकल्पनाएं हर भाषा और हर क़बीले में प्रचलित है. 
आप को हर भाषा का ज्ञान नहीं. 
हज़ारो वर्ष से आत्मा और परमात्मा की कल्पनाएँ  हवा में उड़ रही हैं, 
आजतक कोई सामने नहीं आया ? 
कुत्ते की सड़ी हुई लाश में बजबजाते हुए कीड़े अगर आत्मा हैं, 
तो यह आपको मुबारक. 
विद्युत से जल जाने वाले और चल जाने वाले उपकरण की आत्मा विद्युत है, 
बिजली गई उपकरण बंद. 
ठीक ऐसा ही मामला हर जीव जंतु पेड़ और पौदो का है. 
यह सभी अदर्शनीय विद्युत्य से चलने वाले उपकरण हैं 
जब तक कमज़ोर नहीं पड़ते विद्युत नुमा आत्मा से संचालित होते रहते हैं. 
शरीर जर जर हुए तो विद्युत काम नहीं कर पाती, 
गए कबाड़ खाने में. 
कब तक आप नाली के कीड़ो मकोड़ों की आत्माओं के साथ बने रहेंगे ? 
यही धर्मों की चालें हैं जो मानव को बुद्धि हीन किए हुए हैं. 
निकल सकें तो इससे निकलें, 
दूसरों को अपने साथ मत घसीटें.
***

*****
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

No comments:

Post a Comment