Friday 20 December 2019

आपो दीपो भवः


आपो दीपो भवः 

मैं कभी किसी संस्था के आधीन नहीं रहा, न किसी तंजीम का मिंबर.
मैं ज़िन्दगी की मुकम्मल आज़ादी चाहता हूँ , 
बसकि मेरी ज़ात से किसी को कोई नुकसान न पहुंचे.
मैं अपने आप में ख़ुद एक संस्था हूँ. 
जो किसी को आधीन बनाना पसंद नहीं करती.
यह धर्म व् मज़हब भी अपने आप में बड़ी संस्थाएं हैं, 
जो अपने आधीनों की संख्या में अज़ाफ़ा करने में लगे रहते हैं. 
स्वाधीन अगर बाज़मीर है तो, किसी को आधीन नहीं बनाता .
बड़ा गर्व करती हैं संस्थाएं कि विश्व में उनके इतने सदस्य और मानने वाले हैं, 
मगर जब इन पर अंकुश लगता है, 
तब इनका मानवता भेदी पोल खुल जाता है,   
बाबा, स्वामी, बापू, ग़ुरुदेव जुर्म के पुतले बन जाते हैं.
राजनीति इन्हें पालती पोस्ती है, इनके चार धाम बनाती है .
यही धाम जब क़िला बनकर हुकूमत को आँख दिखलाते है तो उसे 
आपरेशन ब्लू , रेड, येलो स्टार चलाना पड़ता है .
इन दुष्ट प्रवृत पर अगर हुकूमत-ए-वक़्त पाबंदी नहीं लगा पाती, 
तो यह पैग़म्बर का मुक़ाम पा जाते हैं .
इनके फ़रमूदात की पैरवी करते हुए तारीख़ में ISIS पैदा होते रहते हैं .
***
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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