Sunday 14 April 2019

खेद है कि यह वेद है (62)

खेद  है  कि  यह  वेद  है  (62)
हे सोम !
तुम्हें इंद्र के पीने के लिए निचोड़ा गया है.
तुम अतिशय मादक
और मादक धारा से निचोड़ो
नवाँ मंडल सूक्त 1

सोम के कई अर्थ हैं, मगर वेदों में इसके अर्थ शराब के सिवा और कुछ नहीं. चतुराई से वेद ज्ञाता अवाम को बहकते हैं कि सोम कोई और पवित्र चीज़ होती है. शराब सिर्फ इस्लाम में हराम है बाक़ी सभी धर्मों में पवित्र. ईसा शराब के नशे में हर समय टुन्न रहते. इंद्र भाब्वन भी सोम रस के बिना टुन्न कैसे रह सकते है.
अतिशय मादक दारू उनको हव्य में दी जाती तभी तो सोलह हज़ार पत्नियों को रखते होंगे.
वेद निर्माता पंडित जी शराब के नशे में डूबे लबरेज़ पैमाने से वार्तालाप कर रहे हैं. पैमाने को मुखातिब कर रहे हैं और उसको हिदायत दे रहे है. पैमाने को क्या पता कि उसको कौन पिएगा, वह आगाह कर रहे हैं कि खबर दार तुमको राजा इन्दर ग्रहण करेगे. तुमको और नशीला होना पड़ेगा. नशे की लहर से निचड़ो.
कुछ लोग मुझे सलाह देते हैं कि वेद को समझने के किए तुम्हें राजा इन्दर की तरह टुन्न होना पड़ेगा वरना वेद तुमको ख़ाक समझ आएगा.
यही मशविरा मुस्लिम ओलिमा भी देते हैं कि क़ुरान समझने के लिए तुम्हें दिल और दिमाग़ चाहिए.
वेद कोई पुण्य पथ नहीं, वेदना है समाज के लिए.

*
हे मित्र स्तोताओ !
तुन इंद्र के अतरिक्त किसी की स्तुति मत करो.
तुम क्षीण मत बनो.
सोम रस निचुड़ जाने पर एकत्र होकर
अभिलाषा पूर्वक इंद्र की स्तुति करते हुए बार बार स्तोत्र बोलो
आठवाँ मंडल सूक्त 1
(ऋग्वेद / डा. गंगा सहाय शर्मा / संस्तृत साहित्य प्रकाशन नई दिल्ली )

वेद में सैकड़ों देव है जिनकी स्तुति वेद कराता है. यहाँ पर सिर्फ इंद्र देव के अतरिक्त किसी दूसरे की स्तुति करने से रोकता है ?
भक्त गण कान बंद करके मन्त्र को सुनते हैं और मंत्रमुघ्त होते हैं.
शूद्रों को वेद मन्त्र सुनना वर्जित है , कारण ? सुन लें तो उनके कानों में पिघला हुवा शीशा पिलाने का हुक्म है. यह इस लिए कि अनपढ़ शूद्र इन मंत्रो को सुन कर पंडितों की मूर्खता पर क़हक़हे लगा सकता है.

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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