Friday 5 April 2019

सूरह ग़ाशिया - 88 = سورتہ الغاشیہ

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है.
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.

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   सूरह ग़ाशिया - 88 = سورتہ الغاشیہ
(हल अताका हदीसुल ग़ासिया)     

यह क़ुरआन का तीसवाँ और आख़िरी पारा है. इसमें सूरतें ज़्यादः तर छोटी छोटी हैं जो नमाज़ियों को नमाज़ में ज़्यादः तर काम आती हैं. 
बच्चों को जब क़ुरआन शुरू कराई जाती है तो यही पारा पहला हो जाता है. इसमें 78 से लेकर114 सूरतें हैं जिनको (ब्रेकेट में लिखे ) उनके नाम से पहचान जा सकता है कि नमाज़ों में आप कौन सी सूरत पढ़ रहे हैं 
और ख़ास कर याद रखें कि क्या पढ़ रहे हैं.

"आपको उस मुहीते-आम वाक़ेए  की कुछ ख़बर पहुँची है?
बहुत से चेहरे उस रोज़ ज़लील मुसीबत झेलते हुए, ख़स्ता होंगे.
आतिशे-सोज़ाँ में दाख़िल होंगे,
खौलते हुए चश्मे से पानी पिलाए जाएँगे,
इनको बजुज़ एक ख़ारदार झाड़ के और कोई खाना नसीब न होगा.
जो न फ़रबा करेगा न भूक मिटेगी.
सूरह ग़ाशिया -88  आयत (1 -7)
"बहुत से चेहरे उस रोज़ बा रौनक होंगे,
अपने कामों के बदौलत ख़ुश होंगे.
बेहिश्ते-बरीं में होंगे,
जिसमें कोई लग्व बात न सुनेंगे.
इसमें बहते हुए चश्में होंगे.
इसमें ऊंचे ऊंचे तख़्त हैं,
और रखे हुए आब खो़रे हैं,
और बराबर बराबर लगे हुए गद्दे हैं,
और सब तरफ़ कालीन फैले पड़े हैं"
सूरह ग़ाशिया-88  आयत (8 -1 6 )
तो क्या वह लोग ऊँट को नहीं देखते कि किस तरह पैदा किया गया है?
और आसमान को कि किस क़दर बुलंद है?
और पहाड़ों को कि किस तरह खड़े किए गए हैं?
और ज़मीन को कि किस क़दर बिछाई गई है? तो आप नसीहत कर दिया कीजिए.
आप तो सिर्फ़ नसीहत करने वाले हैं और आप उन पर मुसल्लत नहीं हैं.
हाँ मगर जो रू गरदानी करेगा और कुफ्र करेगा ,
तो उसको बड़ी सज़ा है.
क्यूंकि हमारे पास ही उनको आना होगा,
फिर हमारा ही काम इनसे हिसाब लेना है.
सूरह ग़ाशिया -88  आयत (17-62 )

नमाजियों!
ग़ौर करो कि जिस अल्लाह की तुम बंदगी करते हो वह किस क़दर आतिशी है?
कितना ज़बरदस्ती करने वाला?
कैसा ज़ालिम तबा?
इससे पल झपकते ही छुटकारा पा सकते हो.
बस मुहम्मद से नजात पा जाओ. 
मुहम्मद जो सियासत दान है, कीना परवर है, इक़तेदार का भूका है, शर्री और बोग्ज़ी है. इसकी बड़ी बुराई और जुम्र्म ये है कि ये मुजस्सम झूठा शैतान है.
मुहम्मदी अल्लाह उसी की पैदा की हुई नाजायज़ औलाद है.

अगर मैं आज अल्लाह का रसूल बन जाऊँ तो मेरी दुआ कुछ इस तरह होगी - - -
"ऐ रसूल !तू मेरे बन्दों को आगाह कर कि ये दुनयावी ज़िन्दगी आरज़ी है और आख़िरी भी. इस लिए इसको कामयाबी के साथ जीने का सलीक़ा अख़्तियार कर.
"ऐ बन्दे! तू सेहत मंद बन और अपनी नस्लों को सेहत मंद बना, उसके बाद तू कमज़ोरों का सहारा बन.
"ऐ बन्दे!हमने अगर तुझे दौलत दी है तो तू मेरे बन्दों के लिए रोज़ी के ज़राए पैदा कर.
"ऐ बन्दे!  हमने तुझे अगर ज़ेहन दिया है तो तू लोगों को इल्म बाँट,
"ऐ बन्दे! तू मेरी मख़लूक़ को जिस्मानी, ज़ेहनी और माली नुक़सान मत पहुँचा, 
ये अमल तुझे और तेरी नस्लों को पामाल करेगा.
"ऐ बन्दे! बन्दों के दुःख दर्द को समझ, यही तेरी ज़िंदगी की अस्ल ख़ुशी है.
"ऐ बन्दे! तू मेरे बन्दों का ही नहीं तमाम मख़लूक़ का ख़याल रख क्यूंकि मैंने तुझे अशरफुल मख़लूक़यात बनाया है.
"ऐ बन्दे! मख़लूक़ का ही नहीं बल्कि तमाम पेड़ पौदों का भी ख़याल रख क्यूंकि ये सब तेरे फ़ायदे के लिए हैं.
"ऐ बन्दे! साथ साथ इस धरती का भी ख़याल रख क्यूंकि यही सब जीव जंतु औए पेड़ पौदों की माँ है.
"ऐ बन्दे! तू कायनात का ही एक जुज़्व है, इसके सिवा कुछ भी नहीं.
"ऐ बन्दे! तू अपनी ज़िन्दगी को भरपूर ख़ुशियों से भर ले 
मगर किसी को ज़रर पहुँचाए बग़ैर.

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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