Monday 29 April 2019

खेद है कि यह वेद है (76)

खेद  है  कि  यह  वेद  है  (76)
अब जिक्र करते है अश्लीलता का :-
वेदों में कैसी-कैसी अश्लील बातें भरी पड़ी है,
इसके कुछ नमूने आगे प्रस्तुत किये जाते हैं

(१) यां त्वा .........शेपहर्श्नीम || (अथर्व वेद ४-४-१) अर्थ :

हे जड़ी-बूटी, मैं तुम्हें खोदता हूँ. तुम मेरे लिंग को उसी प्रकार उतेजित करो
जिस प्रकार तुम ने नपुंसक वरुण के लिंग को उत्तेजित किया था.

*धर्मो के पोलखाते धर्म ग्रंथ में ही निहित हैं. जनता बेवकूफ पंडित जी के प्रवचन सुनने की आदी है जो ऐसी बातों को परदे में रखते हैं.


हे बाण रूप ब्राहमण !
तुम मन्त्रों द्वारा तीक्ष्ण किये हुए हो.
हमारे द्वारा छोड़े जाने पर तुम शत्रु सेनाओं पर एक साथ गिरो
और उनके शरीरों में घुस कर किसी को भी जीवित मत रहने दो.
(४५) (यजुर्वेद १.१७)

यहाँ सोचने वाली बात है कि जब पुरोहितों की एक आवाज पर सब कुछ हो सकता है तो फिर हमें चाइना और पाक से डरने की जरुरत क्या है इन पुरोहितों को बोर्डर पर ले जाकर खड़ा कर देना चाहिए उग्रवादियों और नक्सलियों के पीछे इन पुरोहितों को लगा देना चाहिए, क्या जरुरत है इतनी लम्बी चौड़ी फ़ोर्स खड़ी करने की, क्या जरुरत है मिसाइलें बनाने की ?

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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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