Sunday 21 April 2019

खेद है कि यह वेद है (68)



खेद  है  कि  यह  वेद  है  (68)
अग्नि ने अपने मित्र इंद्र के लिए तीन सौ भैंसों को पकाया था. 
इंद्र ने वृत्र को मारने के लिए मनु के तीन पात्रों में भरे सोम रस को एक साथ ही पी लिया था.
 पंचम मंडल सूक्त - 7 

हे धन स्वामी इंद्र ! 
जब तुमने तीन सौ भैसों का मांस खाया, 
सोम रस से भरे तीन पात्रों को पिया 
एवं वृत्र को मारा, तब सब देवों ने सोमरस से पूर्ण तृप्त इंद्र को उसी प्रकार बुलाया जैसे मालिक अपने नौकर को बुलाता है. 
* मांसाहार भगवा भगवांस - - -

1-अग्नि ने अपने मित्र इंद्र के लिए 
तीन सौ भैंसों को पकाया था. 
इंद्र ने वृत्र को मारने के लिए मनु के 
तीन पात्रों में भरे सोम रस को एक साथ ही पी लिया था.
 पंचम मंडल सूक्त - 7 

2-हे धन स्वामी इंद्र ! - - -
(ऋग्वेद / डा. गंगा सहाय शर्मा / संस्तृत साहित्य प्रकाशन नई दिल्ली )

अग्नि देव ने तीन सौ भैसों को किस कढाई में पकाया होगा?
और इंद्र ने कितनी बड़ी परात में तीन सौ भैंसों को भक्षा होगा ? 
यह दोनों मांसाहारी रहे होंगे बल्कि महा मान्साहारी, 
जिनके पुजारी शाकाहारी क्यों हो गए? 
इनको झूट बोलने में कभी कोई लज्जा नहीं आती ? 
इन मन्त्रों को लाउड स्पीकर पर बड़ी बेशर्मी के साथ उच्चारित किया जाता है. इस लिए कि संस्कृत भाषा में होते हैं 
जैसे कुरआन अरबी भाषा में होता है. 
दोनों हिन्दू और मुसलमान इन पंडों और मुल्लों के शिकार हैं.

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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