Tuesday 8 May 2018

Hindu Dharm 177



धर्म

दुन्या के १२ प्रमुख धर्म

हमारे ख़याल से मुख़्तलिफ़ फ़िरक़ों के बुद्धि जीवी और आलिमों की जानिबदारी से ऊपर उठ कर इस विषय पर तबादला ए ख़याल करना चाहिए.
लेकिन इन्हें इस ख़ास बातों पर ध्यान देना चाहिए ताकि मानव मात्र आपस में प्यार और मुहब्बत से जी सकें।
सभी धारमिक किताबों मेँ अच्छी बातेँ बिख़री पड़ी हैं.?
भूल हमाऱी है कि  हम इन फ़ितरी अमल की बातों को भुला कर बारीक  बीनी करके मन्तक़ी ख़ुराफ़ातों को लेकर सर फुटव्वल कर रहे हैं.
तो आइए हम ज़रूरी बातें करें- - -

मुहब्बत - - -

इंसानी दोस्ती सबसे ज़यादा क़रीब लाने वाला जज़बा है ,
नफ़रत मुहब्बत को दूर करती है,
मुहब्बत अजनबियों को भी सगा बना लेती है ,
और नफ़रत सगों को भी बेगाना कर देती है ,
इस लिए हम लोगों को अहद करना चाहिए कि हम
किसी भी देश,
किसी भी तबक़े
किसी भी फ़िर्क़े
और किसी भी रंग रूप वाले से नफ़रत नहीं करेंगे,
हम सभी से मीठी बातें  करेंगे,
और पुर ख़ुलूस सुलूक रवा रक्खेंगे ,
किसी पर मुसीबत आने पर इसके मददगार होंगे.

नरम गोशा ---

हम अगर अपने दिल में झांक कर देखें तो पाएंगे कि इसमें नरमी की कमी है, तमकनत ज़्यादा है. इसी लिए हम अपने देश, अपनी ज़ात, और अपने मज़हब पर फ़ख्र करते हैं और दूसरों को कमतर समझते हैं. 
हमें खुद को इतना संतुलित रखना चाहिए कि दूसरे हमें अपना भाई समझें.
फ़िराख़ दिली - - -
दिल की कुशादगी और दरिया दिली हमारी रूह को निखारती है.
इसके बर अक्स तंग दिली और तअस्सुब हमारी रूह को आलूदा करती है.
 कट्टर लोग दूसरे के ख़याल को सुनना पसंद नहीं करते,
दूसरे के इबादत गाहों में जाना पसंद नहीं करते.
वह अपने ही अक़ीदों, रवायतों और ढकोसलों को सही मानते हैं.
 बाक़ियों को ग़लत.
 यही वजह है कि वह अपने को दूसरों से बरतर समझते हैं.

दर गुज़री - - -

कई बार मुआफ़ी और रहम में कुछ गड़बड़ हो जाती है.
 बुनयादी तौर पर बेबसों और मोहताजों पर रहम खाया जाता है
और मुजरिम को मुआफ़ किया जाता है.
 भूल कर जुर्म करने वाले मुजरिम को एक बार मुआफ़ किया जा सकता है मगर पेशावर और आदी मुजरिम को सज़ा होनी चाहिए.

मेहनत कशी - - -

हमारे बच्चों और बूढ़ों को छोड़ कर काम करने की शर्त हर बाशिदे पर होना चाहिए.
  काम ज़ेहनी हो या जिस्मानी मगर हो रचनात्मक.
(धर्म और मज़हब के धंधे बाज़ों पर भी मशक्क़त लागू हो)

इंसाफ़ ---

हर शहरी को न्याय बिना भेद भाव के मिले.
सब्र, संतोष, संतुलन, सत्य सफ़ाई और शिक्षा के शीर्षक पर क़ायम सुतून हों. इनके रौशन चराग़ की लवें सी हों कि हर किसी के दिल व दिमाग़ तक पहुँचे.
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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