Saturday 19 May 2018

Hindu Dharm 182


सच का ग़ुलाम

मेरे हिंदी लेख ख़ास कर उन मुस्लिम नव जवानो के लिए होते हैं 
जो उर्दू नहीं जानते . 
अगर इसे ग़ैर मुस्लिम भी पढ़ें तो कोई एतराज़ नहीं , 
बस इतनी ईमान दारी के साथ कि अपने गरेबान में मुंह डाल कर देखें कि कहीं उनके धर्म में कोई मानवीय मूल्य आहत तो नहीं होते . 
सच्चाई सर्व श्रेष्ट आधार , सत्य मेव जयते !
अल्लाह, गाड और भगवान् 
अगर इंसान किसी अल्लाह, गाड और भगवान् को नहीं मानता तो सवाल उठता है कि वह इबादत और आराधना किसकी करे ? 
मख़लूक़ (जीव) फ़ितरी तौर पर किसी न किसी की आधीन होना चाहती है. 
एक चींटी अपने रानी के आधीन होती है, तो एक हाथी अपने झुण्ड के सरदार हाथी के.
या पीलवान का अधीन होता है. 
कुत्ते अपने मालिक की सर परस्ती चाहते है, 
तो परिंदे अपने जोड़े पर मर मिटते हैं. 
इन्सान की क्या बात है, उसकी हांड़ी तो भेजे से भरी हुई है, 
हर वक्त मंडलाया करती है, 
नेकियों और बदियों का शिकार किया करती है.
शिकार, शिकार और हर वक़्त शिकार, 
इंसान अपने वजूद को ग़ालिब करने की उडान में हर वक़्त दौड़ का खिलाडी बना रहता है,
मगर बुलंदियों को छूने के बाद भी वह किसी की अधीनता चाहता है.
सूफ़ी तबरेज़ अल्लाह की तलाश में इतने गहराई में गए कि उसको अपनी ज़ात के आलावा कुछ न दिखा, उसने अनल हक (मैं खुदा हूँ) कि सदा लगाई, इस्लामी शाशन ने उसे टुकड़े टुकड़े कर के दरिया में बहा देने की सज़ा दी. मुबालग़ा ये है कि उसके अंग अंग से अनल हक़ की सदा निकलती रही.
कुछ ऐसा ही गौतम के साथ हुवा कि उसने भी भगवन की अंतिम तलाश में खुद को पाया और
"आप्पो दीपो भवः " का नारा दिया.
मैं भी किसी के आधीन होने के लिए बेताब था, 
ख़ुदा की शक्ल में मुझे सच्चाई मिली और मैंने उसमे जाकर पनाह ली.
कानपूर के ९२ के दंगे में, मछरिया की हरी बिल्डिंग मुस्लिम परिवार की थी, 
दंगाइयों ने उसके निवासियों को चुन चुन कर मारा, मगर दो बन्दे उनको न मिल सके, जिनको कि उन्हें ख़ास कर तलाश थी. 
पड़ोस में एक हिन्दू बूढी औरत रहती थी, 
भीड़ ने कहा इसी घर में ये दोनों शरण लिए हुए होंगे, 
भीड़ ने आवाज़ लगाई, घर की तलाशी लो. 
घर की मालिकन बूढी औरत अपने घर की मर्यादा को ढाल बना कर दरवाजे खड़ी हो गई. 
उसने कहा कि मजाल है मेरे जीते जी मेरे घर में कोई घुस जाए, 
रह गई बात कि अन्दर मुसलमान हैं ? 
तो मैं ये गंगा जलि सर पर रख कर कहती हूँ कि मेरे घर में कोई मुसलमान नहीं है. 
औरत ने झूटी क़सम खाई थी, दोनों व्यक्ति घर के अन्दर ही थे, जिनको उसने मिलेट्री आने पर उसके हवाले किया. ऐसे झूट का भी मैं अधीन हूँ. 
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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