Saturday 12 May 2018

Hindu Dharm 179



वेद दर्शन                            

खेद  है  कि  यह  वेद  है  . . . 

अब जिक्र करते है अश्लीलता का :-
वेदों में कैसी-कैसी अश्लील बातें भरी पड़ी है,
इसके कुछ नमूने आगे प्रस्तुत किये जाते हैं 
(१) यां त्वा .........शेपहर्श्नीम || (अथर्व वेद ४-४-१) अर्थ : 
हे जड़ी-बूटी, मैं तुम्हें खोदता हूँ. तुम मेरे लिंग को उसी प्रकार उतेजित करो 
जिस प्रकार तुम ने नपुंसक वरुण के लिंग को उत्तेजित किया था. 
*धर्मो के पोलखाते धर्म ग्रंथ में ही निहित हैं. जनता बेवकूफ पंडित जी के प्रवचन सुनने की आदी है जो ऐसी बातों को परदे में रखते हैं.


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

No comments:

Post a Comment