Thursday 24 May 2018

Hindu Dharm 184



वेद दर्शन               
            
खेद  है  कि  यह  वेद  है  . . . 

 हे अग्नि !
 तुम शत्रु-सैन्य हराओ. 
शत्रुओं को चीर डालो तुम किसी द्वारा रोके नहीं जा सकते. 
तुम शत्रुओं का तिरस्कार कर इस अनुष्ठान करने वाले यजमान को तेज प्रदान करो 
|३७| यजुर्वेद १.९) 

* वेदों और क़ुरान में चीर फाड़ करने वाली अमानवीय घोषणाएं ही मिलेगी.




जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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